|| रविवार जी की आरती ||

कहूं लगी आरती दास करेंगे,
सकल जगत जाकी जोत विराजे | 
सात समुद्र जाके चरणनि बसे,
कहा भयो जल कुंभ भरे हो राम || 

कोटि भानु जाके नख की शोभा,
कहा भयो मन्दिर दीप धरे हो राम || 

भार अठारह राम बलि जाके,
कहा भयो शिर पुष्पधरे हो राम || 

छप्पन भोग जाके प्रतिदिन लागे,
कहा भयो नैवेध धरे हो राम || 

अमित कोटि जाके बाजा बाजें,
कहा भयो झनकार करे हो राम || 

चार वेद जाके मुख की शोभा,
कहा भयो ब्रह्मावेद पढ़े हो राम || 

शिव सनकादिक आदि ब्रह्मादिक,
नारद मुनि जाको ध्यान धरे हो राम || 

हिम मंदार जाके पवन झकोरें,
कहा भयो शिव चंवर ढुरे हो राम || 

लाख चौरासी बन्ध छुड़ाए,
केवल हरियश नामदेव गाए हो राम || 

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