|| शनि भगवान जी की आरती – ॐ जय शनि महाराज ||
ॐ जय जय शनि महाराज, स्वामी जय जय शनि महाराज |
कृपा करो हम दीन रंक पर, दुःख हरियो प्रभु आज || ॐ जय ||
सूरज के तुम बालक होकर, जग में बड़े बलवान |
सब देवताओं में तुम्हारा, प्रथम मान है आज || ॐ जय ||
विक्रमराज को हुआ घमण्ड फिर, अपने श्रेष्ठन का |
चकनाचूर किया बुद्धि को, हिला दिया सरताज || ॐ जय ||
प्रभु राम और पांडवजी को, भेज दिया बनवास |
कृपा होय जब तुम्हारी स्वामी, बचाई उनकी लाज || ॐ जय ||
शुर-संत राजा हरिश्चंद्र का, बेच दिया परिवार |
पात्र हुए जब सत परीक्षा में, देकर धन और राज || ॐ जय ||
गुरुनाथ को शिक्षा फाँसी की, मन के गरबन को |
होश में लाया सवा कलाक में, फेरत निगाह राज || ॐ जय ||
माखन चोर वो कृष्ण कन्हाइ, गैयन के रखवार |
कलंक माथे का धोया उनका, खड़े रूप विराज || ॐ जय ||
देखी लीला प्रभु आया चक्कर, तन को अब न सतावे |
माया बंधन से कर दो हमें, भव सागर ज्ञानी राज || ॐ जय ||
मैं हूँ दीन अनाथ अज्ञानी, भूल भई हमसे |
क्षमा शांति दो नारायण को, प्रणाम लो महाराज || ॐ जय ||
ॐ जय जय शनि महाराज, स्वामी जय-जय शनि महाराज |
कृपा करो हम दीन रंक पर, दुःख हरियो प्रभु आज || ॐ जय ||
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|| आरती: श्री शनिदेव – जय जय श्री शनिदेव ||
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी |
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी || जय जय श्री शनिदेव.. ||
श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी |
नीलांबर धार नाथ गज की असवारी || जय जय श्री शनिदेव.. ||
क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी |
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी || जय जय श्री शनिदेव.. ||
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी |
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी || जय जय श्री शनिदेव.. ||
देव दनुज ऋषि मुनि सुमरिन नर नारी |
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी || जय जय श्री शनिदेव.. ||
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|| शनि मंत्र ||
१. शनि महामंत्र
ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम |
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम ||
२. शनि दोष निवारण मंत्र
ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम |
उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात ||
३. शनि का पौराणिक मंत्र
ॐ हिं निलान्जनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम |
छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम ||
४. शनि का वैदिक मंत्र
ॐ शन्नोदेवीर-भिष्टयआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः |
५. शनि गायत्री मंत्र
ॐ भगभवाय विध्महैं मृत्युरूपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोधात् |
ॐ शन्नोदेवीर-भिष्टयआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः ||
६. सेहत के लिए शनि मंत्र
ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिहा |
कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा ||
शनैर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान् |
दुःखानि नाश्येन्नित्यं सौभग्यमेधते सुखमं ||
७. तांत्रिक शनि मंत्र
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः |
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