|| आरती श्री काली मैया की ||

मंगल की सेवा सुन मेरी देवी, हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़े 
पान सुपारी ध्वजा नारियल, ले ज्वाला तेरी भेंट करें | 
सुन जगदम्बे कर न विलम्बे, सन्तन के भंडार भरे 
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे || 

बुद्धि विधाता तू जगमाता, मेरा कारज सिद्ध करे 
चरण कमल का लिया आसरा, शरण तुम्हारी आन परे | 
जब जब पीर पड़े भक्तन पर, तब तब आये सहाय करे 
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे || 

बार बार तै सब जग मोहयो, तरुणी रूप अनूप धरे 
माता होकर पुत्र खिलावें, कहीं भार्या बन भोग करे | 
संतन सुखदायी, सदा सहाई, सन्त खड़े जयकार करें
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे || 

ब्रह्मा, विष्णु, महेश फल लिए, भेंट देन सब द्वार खड़े 
अटल सिंहासन बैठी माता, सिर सोने का छत्र धरे | 
वार शनिचर कुंकुमवरणी, जब लुंकुड पर हुक्म करे 
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे || 

खड्ग खप्पर त्रिशूल हाथ लिये, रक्तबीज कुं भस्म करे 
शुम्भ-निशुम्भ क्षणहिं में मारे, महिषासुर को पकड़ धरे | 
आदित वारी आदि भवानी, जन अपने को कष्ट हरे 
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे || 

कुपित होय कर दानव मारे, चण्ड-मुण्ड सब चूर करे 
जब तुम देखो दया रूप हो, पल में संकट दूर टरे | 
सोम्य स्वभाव धरयो मेरी माता, जन की अर्ज कबूल करे 
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे || 

सात बार महिमा बरनी, सब गुण कौन बखान करे 
सिंह पीठ पर चढ़ी भवानी, अटल भुवन मे राज करे | 
दर्शन पावें मंगल गावें, सिद्ध साधन तेरी भेट धरें 
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे || 

ब्रह्मा वेद पढ़े तेरे द्वारे, शिवशंकर हरि ध्यान धरे 
इन्द्र-कृष्ण तेरी करे आरती, चंवर कुबेर डुलाय रहे | 
जय जननी जय मातुभवानी, अचल भुवन में राज करे 
सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे || 
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