|| श्री साईं बाबा जी की आरती ||
आरती उतारे हम तुम्हारी साईं बाबा |
चरणों के तेरे हम पुजारी साईं बाबा ||
विद्या बल बुद्धि, बन्धु माता पिता हो
तन मन धन प्राण, तुम ही सखा हो
हे जगदाता अवतारे, साईं बाबा |
आरती उतारे हम तुम्हारी साईं बाबा ||
ब्रह्मा के सगुण अवतार तुम स्वामी
ज्ञानी दयावान प्रभु अंतरयामी
सुन लो विनती हमारी साईं बाबा |
आरती उतारे हम तुम्हारी साईं बाबा ||
आदि हो अनंत त्रिगुणात्मक मूर्ति
सिंधु करुणा के हो उद्धारक मूर्ति
शिरडी के संत चमत्कारी साईं बाबा |
आरती उतारे हम तुम्हारी साईं बाबा ||
भक्तों की खातिर, जन्म लिये तुम
प्रेम ज्ञान सत्य स्नेह, मरम दिये तुम
दुखिया जनो के हितकारी साईं बाबा |
आरती उतारे हम तुम्हारी साईं बाबा ||
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|| आरती श्री शिरडी के साईबाबा की ||
आरती श्री साई गुरुवर की | परमानन्द सदा सुरवर की ||
जाकी कृपा विपुल सुखकारी | दुःख, शोक, संकट, भयहारी || १ ||
शिरडी मे अवतार रचाया | चमत्कार से तत्व दिखाया || २ ||
कितने भक्त चरण पर आये | वे सुख-शांति चिरंतन पाये || ३ ||
भाव धरे मन में जैसा | पावत अनुभव वो ही वैसा || ४ ||
गुरु की लगावे तन को | समाधान लाभत उस मनको || ५ ||
साई नाम सदा जो गावे | सो फल जग मे शाश्वत पावे || ६ ||
गुरुवारसर करि पूजा-सेवा | उस पर कृपा करत गुरुदेवा || ७ ||
राम, कृष्ण, हनुमान रूप में | दे दर्शन जानत जो मन में || ८ ||
विविध धर्म के सेवक आते | दर्शन से इच्छित फल पाते || ९ ||
जय बोलो साईबाबा की | जय बोलो अवधूतगुरु की || १० ||
‘साईदास’ आरती को गावे | घर में बसि सुख, मंगल पावे || ११ ||
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